जैविक कीटनाशक नीमास्त्र, अग्निअस्त्र, ब्रह्मास्त्र तथा दशपर्णी अर्क के उपयोग,फायदे एवं बनाने की विधियॉं।

जैविक कीटनाशक विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों से बनेेेे कीटनाशक होते हैं, जो फसलों को कीटों तथा रोगों से सुरक्षा प्रदान करता हैैैै। जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सकता है, तथा रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम कियाा जा सकता हैैैै, इसके साथ ही मित्र कीटोंं का भी संरक्षण किया जा सकता है।आइए जानते हैं कुछ प्रमुख जैविक कीटनाशकों के बारे में।

नीमास्त्र-



नीमास्त्र का उपयोग रस चूसने वाले कीड़े, छोटी सुंडी/इलिओं के नियंत्रण में किया जाता है।

सामग्री-

नीम की पत्ती या फल- 5kg
देसी गाय का गोमूत्र- 5litre
देसी गाय का गोबर- 1kg

बनाने की विधि-

नीमास्त्र बनाने के लिए सर्वप्रथम नीम की पत्ती और सूखे फलों को कूटकर पानी में मिलाएं तत्पश्चात देसी गाय का गोबर और गौमूत्र मिलाएं। अब इस मिश्रण को 48 घंटे तक बोरे से ढक कर छाया में रखें, इस बीच सुबह शाम मिश्रण को लकड़ी से घड़ी की सुई की दिशा में 5-10 मिनट तक चलाएं। इस प्रकार आपका निमास्त्र बनकर तैयार है, अब इसे कपड़े से छानकर फसल पर छिड़काव करें।

प्रयोग की विधि-

1 एकड़ फसल के लिए तैयार नीमास्त्र में 15 गुना पानी मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। नीमास्त्र का प्रयोग 6 माह तक किया जा सकता है। 6 माह बाद इसका प्रभाव कम होने लगता है।

अग्नि अस्त्र-

अग्नि अस्त्र का प्रयोग रस चूसने वाले कीड़े, छोटी सुंडी के नियंत्रण में किया जाता है।

सामग्री-

देसी गाय का गोमूत्र- 20लीटर
नीम की पत्ती- 5kg
लहसुन की चटनी- 500g
हरी मिर्च की चटनी- 500g
तंबाकू पाउडर- 500g

बनाने की विधि-

सर्वप्रथम अग्नि अस्त्र बनाने के लिए नीम के पत्ते को कूटकर गोमूत्र में मिलाते हैं, इसके बाद उसमें अन्य सामग्रियों को भी मिलाते हैं, तत्पश्चात मिश्रण को धीमी आंच पर एक उबाल आने तक उबालते हैं। इसके बाद मिश्रण को ढककर 48 घंटे के लिए छाया में छोड़ देते हैं एवं सुबह शाम घड़ी की सुई की दिशा में 5-10 मिनट तक चलाते हैं। इस प्रकार तैयार मिश्रण को कपड़े से छानकर फसल पर छिड़काव करें।

प्रयोग की विधि-

1 एकड़ फसल के लिए 6 से 8 लीटर अग्नि अस्त्र को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें।इसका प्रयोग 3 माह के अंदर ही करें, 3 माह के बाद इसका प्रभाव कम हो जाता है।  

ब्रह्मास्त्र-

 ब्रह्मास्त्र बड़ी सुंडी/ इलियो को नियंत्रित करता है।

सामग्री-

देसी गाय का गोमूत्र-10लीटर
नीम की पत्तियां-5kg
अमरूद ,पपीता ,अरंडी, कनेर, धतूरा (अन्य जहरीले पौधे) की पत्ती-2-2kg

बनाने की विधि-

ब्रह्मास्त्र बनाने के लिए सर्वप्रथम सभी प्रकार के पत्तियों को बारीक कूटकर गोमूत्र में मिलाकर धीमी आंच पर एक उबाल आने तक उबालते हैं। इसके बाद 48 घंटे तक ठंडा होने के लिए छोड़ दें। तैयार मिश्रण को कपड़े से  छानकर फसलों पर छिड़काव करें।

प्रयोग की विधि-

1 एकड़ फसल के लिए 3 लीटर ब्रह्मास्त्र को 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। इसका प्रयोग केवल 6 महीने तक किया जा सकता है।

दशपर्णी अर्क-

दशपर्णी अर्क सभी प्रकार की सुंडियों/इलिओं को नियंत्रित करता है।

सामग्री-
पानी- 200litre
देसी गाय का गोबर- 2kg
मदार/धतूरा/कनेर/गुड़हल/करेला/तुलसी/अरंडी/करंज/नीम/आम/अमरूद/पपीता/अनार/सीताफल/अदरख/गेंदा इनमे से किन्ही 10 पत्तियों को - 2-2kg  
हल्दी पाउडर- 500gm
हिंग पाउडर- 10gm
अदरख की चटनी- 500gm
हरी मिर्च की चटनी- 1kg
लहसुन की चटनी -1kg
तम्बाकू चूर्ण-1kg

बनाने की विधि-

दशपर्णी अर्क बनाने के लिए सर्वप्रथम सभी पत्तियों को कूटकर बारीक कर लें, तत्पश्चात सभी सामग्रियों को मिला ले, इसके बाद मिश्रण को अच्छी तरह से लकड़ी से घोलें। इस मिश्रण को बोरे से ढककर 30 से 40 दिन तक छाया में रखें। प्रतिदिन मिश्रण को सुबह शाम 5 से 10 मिनट तक घड़ी की सुई की दिशा में चलाएं। इसके बाद कपड़े से छानकर इसका भंडारण कर लें। इस प्रकार आपका दशपर्णी अर्क तैयार है।

प्रयोग की विधि-

1 एकड़ फसल के लिए 6 लीटर दशपर्णी अर्क को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें। इस प्रकार एक बार बने दशपर्णी अर्क को 6 महीने तक प्रयोग किया जा सकता है।

जैविक कीटनाशक के फायदे-

जैविक कीटनाशक केेे प्रयोग से पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय संतुुुुलन बनाए रखने में सहायक है।

जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों एवं बीमारियों को ही नष्ट करता है, जबकि रासायनिक कीटनाशक मित्र कीटों को भी नष्ट कर देता है।

रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होते जा रही है, जिससे कीटों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो भविष्य में फसल उत्पादन के लिए खतरा बनता जा रहा है।

जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों के जैविक स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

• जीवो एवं वनस्पतियों पर आधारित होने के कारण जैविक कीटनाशक लगभग 1 महीने में ही मिट्टी में मिलकर अपघटित हो जाते हैं तथा इसका कोई भी अंश अवशेष नहीं रहता है।

नोट-

अगर किसान भाई गोमूत्र प्राप्त करने में असमर्थ हैं तो वह गोमूत्र की जगह पर वेस्ट डी कंपोजर घोल का प्रयोग कर सकते हैं।

• यह ध्यान रहे कि कीटनाशकों का प्रयोग एक माह पुराने फसल पर ही करें।
आप इसे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।






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