आइए जानते हैं ' मृदा परीक्षण' क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों है, मृदा नमूना एकत्र करने की विधि एवं सावधानियां।


मृदा परीक्षण -

 'मृदा परीक्षण' मृदा के किसी नमूनेे की प्रयोगशाला में रासायनिक जांच है, जिससे मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा की जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य मृदा की उर्वरता मापना तथा यह पता करना है कि मृदा में कौन सी पोषक तत्वों की कमी है।

मृदा परीक्षण की आवश्यकता -

 मृदा में पोषक तत्वों का भंडार है, मृदा केेेे सहारे ही पौधे सीधे खड़े रह पाते हैं। पौधों को अपनी वृद्धि एवं विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है।

👉मुख्य तत्व - कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन नाइट्रोजन, फास्फोरस ,पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर 

👉सूक्ष्म तत्व - जिंक, मैग्नीज, कॉपर, आयरन, बोरॉन, मोलिब्डेनम व क्लोरीन

इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग से ही गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त की जा सकती है। लगातार फसल उत्पादन में वृद्धि एवं बढ़ती सघन खेती के परिणाम स्वरूप पोषक तत्वों का ह्रास भी बढ़ रहा है, परंतु उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग ना होने के कारण इन पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, परिणाम स्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होते जा रही है।

मृदा नमूना एकत्र करने की विधि -  

मृदा परीक्षण के लिए सबसे पहले मृदा का नमूना लिया जाता है। मृदा नमूना एकत्र करने के निम्न चरण हैं-

1. सर्वप्रथम मृदा नमूना एकत्र करने के लिए जिस स्थान का चयन करते हैं, उसे अच्छी तरह साफ कर लेते हैं।

2. 1 एकड़ क्षेत्र से 8-10 स्थान से नमूना एकत्र करें। इसके लिए फावड़े की मदद से V आकार के गड्ढेे बना लें।

3. इसके बाद गड्ढे से 2.5 से 3 सेंटीमीटर मोटाई तक मिट्टी किसी एक पात्र में एकत्र कर लें।

4. सभी स्थानों से प्राप्त नमूनों को आपस में मिला लें।

5. अब इसमें से कंकड़, पत्थर, घास इत्यादि को निकाल लें।

6. अब इस मिश्रण के ढेर को अंगुुुली की मदद से 4 बराबर भागों में विभाजित करें।

7. आमने सामने के दो हिस्सों को आपस में मिला लें, बाकी दो हिस्सों को अलग कर दें। यह प्रक्रिया तब तक करना है, जब तक की मिट्टी 500 ग्राम शेष ना रह जाए। इस प्रकार एकत्र किया गया नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेगा।

8. अब शेष बचे 500 ग्राम मृदा को छलनी से चालकर प्लास्टिक बैग में एकत्रित कर लें।

9. अगर मृदा गीली है तो इसे थैली में भरने से पहले छाया में  सुखा लें।

10. अब इस नमूने केे साथ नमूना सूचना पत्र जिसमें- किसान का नाम, पता, खेत की पहचान, नमूना लेने की तिथि, अगली ली जाने वाली फसल का नाम, सिंचित/ सिंचित कोई अन्य समस्या आदि का विवरण दें।

11. तत्पश्चात सूचना पत्र के साथ थैली को अच्छी तरह से बांधकर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला भेजें।

मृदा नमूना का प्रयोगशाला में विश्लेषण -

प्रयोगशाला में सामान्यता मृदा में कार्बनिक पदार्थ, मृदा पीएच मान (अम्लीयता, क्षारीयता, उदासीनता आदि), वैधुत चालकता, नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश आदि की जांच की जाती है। इसके अलावा मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी विश्लेषण किया जाता है। प्राप्त परिणामों के आधार पर पोषक तत्वों के निम्न, पर्याप्त एवं उच्च स्तर के हिसाब से आगे बोई जाने वाली फसल केे लिए उर्वरक एवं खाद की दी जाने वाली मात्राओं की सिफारिश की जाती है, जिसकेेे आधार पर किसान भाई उर्वरक का सार्थक प्रयोग कर अपनी लागत को कम कर सकते हैं एवं अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

नमूना एकत्रीकरण के समय सावधानियां -

यदि मृदा का नमूना ठीक ढंग से नहींं लिया गया हो तो उसकी सिफारिश सही नहीं हो सकती। इसलिए मृदा नमूना एकत्र करते समय सावधानियां बरतनी चाहिए। नमूना लेते समय क्या ध्यान रखना चाहिए कि जो नमूना हम ले रहे हैं वह पूरे क्षेत्र केे मृदा का प्रतिनिधित्व करे।

1. पेड़, सिंचाई की नाली, मेंड छाया वाली जगह, रास्तेेे के पास से नमूना ना लें।

2. जहां खाद का ढेर रहा हो वहां से नमूना ना लें।

3. जिस खेत में कंपोस्ट, चुना, जिप्सम या अन्य कोई भूमि सुधारक तत्काल डाला गया हो उस खेत से नमूना ना लें।

4. यदि खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दे तो फसल की कतारों के बीच से नमूनाा लेना चाहिए।

5. साफ औजार, जंग रहित तथा साफ थैलियों का प्रयोग करें।

मिट्टी जांच प्रयोगशाला "एक व्यवसाय" -

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना जहां एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का माध्यम भी बनी है। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा एवं किसान जिनकी उम्र 40 वर्ष तक है मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना कर सकते हैं। मृदा परीक्षण प्रयोगशाला दो तरह की होती है- एक तो चलित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रयोगशाला जो किसानों के घर तक जाकर मृदा परीक्षण का कार्य करती है, दूसरा स्थाई मृदा परीक्षण प्रयोगशाला जहां किसान स्वयं जाकर मृदा परीक्षण करवाते हैं। प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 - 8 लाख रुपए तक का खर्च आता है, जिस पर सरकार द्वारा 75% अनुदान दिया जाता है। इच्छुक युवा किसान या संगठन अपने जिले के उप कृषि निदेशक / संयुक्त कृषि निदेशक के कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं ।इसके अलावा agricoop.nic.in या soil health.dac.gov.in पर या किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर संपर्क कर भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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